कुरुक्षेत्र- ‘कुरुक्षेत्र’ महाभारत के ऐतिहासिक रणभूमि के नाम से प्रसिद्ध है जहां धर्म और कर्म का कौरवों और पाण्डवों में 18 दिवस तक युद्ध किया गया था | वह ऐतिहासिक युद्ध अनंत समय के लिये मानव जीवन की सबसे बड़ी सीख और प्रेरणा मानी जाती है जिसकी व्याख्या गीता ग्रन्थ में वर्णित हुआ है | आज आधुनिक समय में उसी ‘कुरुक्षेत्र’ के पद्धति से उसके ही सिद्धांत तथा प्रतिफल के आधार पर आधुनिक समय की एक ऐसी तकनीक बनाने का प्रयास हुआ है जो मानव को उसकी योग्यता तथा उसकी विचारधारा का प्रतिफल स्पष्ट तरीके से वह स्वयं प्रदान कर सकेगा और इस आधुनिक परिक्षण से हर मानव को कुरुक्षेत्र का एक अनुभव मिल सकेगा जिससे स्वयं के जीवन को धर्म तथा कर्म के स्वरुप अपनी योग्यता का प्रतिफल प्रदान कर पायेगा | यह मानव जीवन के लिये बहुत बड़ी बात होगी कि उसके स्वयं के विचारधारा से अपने किये गए कर्म तथा निभाए गए धर्म के हर गुण तथा भाव का निरिक्षण करके उसकी पूर्ण योग्यता का प्रतिफल प्रतिशत में तय तय कर पायेगा |
और जानियेगुण के वास्तविक यूनिट से स्वयं के योग्यता की यूनिट माप होना
अपने गुण का महत्व तथा उसकी विशेषता, क्षमता, योग्य तथा अपनी योग्यता का स्थान तय करना
किसी छोटे या बड़े स्तर पर अपनी तुलना को समझ पाना
गुणों का उन्मूलन तथा अपनी उत्पत्ति करना
जीवन के विचारधाराओं का समझ आना
मानवीय विचारों में विभिन्नता की पहचान
गुण एक भाव होता है जो मानवीय चेतना का एक प्रारूप इकाई होती है।
विशेषता गुण का ऐसा स्वभाव होता है जिसके द्वारा किसी प्रतिक्रिया को दर्शाया जाता है।
क्षमता गुण की वह क्रिया होती है जो मानवीय विशेषता को स्तर प्रदान करता है।
योग्यता मानवीय गुण की वह कला होती है जिससे उसकी विशेषता और क्षमता को एक पहचान मिलता है।
जीवन में पहले वर्तमान समय का आपके गुणों से समन्वय होता है फिर अपने योग्यता के आधार पर अपने विचार, स्वभाव अथवा उत्पत्ति जैसे नीति को संतुलन करके भविष्य को बेहतर बनाने में हमारी सहायता करता हैं।
सम्बन्ध विचार से जुड़ता है, विचार से बनता है और किसी योग्यता पर जाकर टिकता है। परन्तु सम्बन्ध में विचार की स्पष्टता एक महत्वपूर्ण भाग होता है जो कायम योग्य रखता है और कुरुक्षेत्र स्वयं के विचारों को मूलरूप से ही स्पष्टीकरण करने में हमारी सहायता है जिससे सम्बन्ध को परखकर उसकी धारणा बनायी जा सके।
किसी विषय पर गहन अध्ययन शिक्षा को प्रदान करता है। यह महत्वपूर्ण है कि पहले अपने मूल गुणों का स्पष्टीकरण तथा अध्ययन किया जाय, तो इससे कि हम एक अच्छी और बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
कुरुक्षेत्र में अपने गुणों से सम्बंधित प्रश्न स्वयं से बना सकते हैं तथा निरिक्षण के बाद स्वयं से भी उत्तर को तैयार करने में सक्षम भी हो सकते हैं।
कुरुक्षेत्र के पूर्ण परिक्षण से कम से कम 39% अपना कोई सही निर्णय तय कर सकते हैं जो आपकी योग्यता को मजबूत बना सकता है।
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कुरुक्षेत्र उपयोगकर्ता के लिए एक संदेश...
जब अपने विचारों की या अपने गुणवत्ता की बात आती है उसकी तुलना हम किससे करते हैं..? वह विश्वास जो कभी खुद को किसी गुणों से अनुभव करते हैं तब उस बात की हमें अनुभूति होती है कि यह एक ऐसा नीति है जो हमारे गुण को हमारे मानवीय रूप से हमें जोड़ता है तथा उसका कुछ ही हिस्सा हमारे अवचेतना को अवगत कराती है कि यह आप ही का किसी गुण का एक स्वभाव है...। इतने तक ही समझते - समझते एक ऐसा समय आता है जब एक पूरा जीवन गुजर चुका होता है परन्तु आमतौर पर अभी तक मानवीय रूप के सभी गुणों को पूर्णतः पहचानना, समझना और अपने नीति में अवतरित करना हम बस कुछ ही हिस्से को लेकर जीते हैं। हमारे जीवन का आधार क्या होना चाहिए, उसकी दशा और दिशा क्या होनी चाहिए यह कौन स्पष्टीकरण कर सकता है...? क्यूंकि अगर हम किसी से मिले आदर्श को मानकर भी जीवन को एक राह देते हैं तो वह भी सिर्फ एक अंश मात्र होता है जो सिर्फ राह को दिखाता है बल्कि वह ऐसा क्या है जो स्वयं जहाँ भी रहें आरम्भ से प्रारम्भ तक और प्रारम्भ से अपने जीवन के शीर्ष तक किसी राह पर नहीं बल्कि हर कदम पर मंजिल भी अपने साथ दिखे। जो न शुरुआत करने की चिंता और न ही अंत होने का दुःख हो..; वह है सिर्फ जितना जान सको उतना खुद के बारे में 'जानना'! यह वही 'जानकारी' है जो खुद को स्थिरता तक छोड़ता है। हम समय के किसी भी घड़ी में रहें आखिरी में खुद को अंत तक ले जाकर संतुष्टि से जीवन को विदा करना हमारा उद्देश्य होता है। इन सब में सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि मुझे कौन बताएगा कि मैं कौन हूं या मुझसे क्या है...! स्पष्टता समझ यही है कि इसका उत्तर स्वयं के शिवा कोई और देना भी फिर भी संदेह का संदेह ही रह जाता है कि मैं ऐसा स्वयं क्यूं नहीं जो इसी बात को बिल्कुल स्पष्ट करने में पूर्ण क्षमता पहले से रखता हो। अतः निष्कर्ष यही निकलता है कि स्वयं का चुनाव यहां खुद ही करो अपने विचारों से, अपने स्वभाव से, स्वाभाविक गुणों से, अपने गुणों के नीति से तथा अनुभव और अनुभूति से जो भी स्पष्ट होता है वह स्वयं का ही होता है और स्वयं का रहता भी है... इसमें तो कोई संदेह नहीं कि जो चुनाव आपने अपने जीवन के विचारधारा में किया है वह आपका समूल्य है। ऐसा समूल्य जिससे स्वयं का ज्ञान है और उसी स्वयं के ज्ञान से हमें उस ज्ञान का उन्मूलन करने में सक्षम बनाता है जो अपने मन के विचार कहते हैं... और यहां पर अपने चित्त की वह स्थिरता प्रदान होती है जो वास्तव में हमें 'हम' या 'मैं' बनाता है और फिर मुझमे ही आरम्भ और मुझसे ही प्रारम्भ और मुझमे ही अंत समाहित हो जाती है। मैं Anupam V. Jessy ठीक इसी धारणा को ध्यान में रखते हुए कुरुक्षेत्र में कुछ सिद्धांत के आधार पर 108 गुणों का एक यूनिट माप तैयार करके किसी व्यक्ति के उसके ही विचारधारा से किसी चुनाव का समीकरण करके गुण को स्पष्टता देने का प्रयास किया है और इस परिक्षण में मेरे प्रयास से ज्यादा कोई व्यक्ति स्वयं से भी बहुत कुछ स्पष्ट कर सकता है जितना कि उन्हें कोई दूसरा नहीं कर सकता और मेरा यही उद्देश्य होगा कि इस कुरुक्षेत्र से ही नहीं बल्कि पूर्ण परीक्षण के बाद स्वयं को स्वयं से स्पष्टीकरण करने में सक्षम हो सकते हैं कि वे आगे कैसे बेहतर से बेहतर बन सकते हैं।